आज के समय में बैंक खाता रखना हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी हो गया है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से लेकर वेतन प्राप्त करने और अन्य वित्तीय गतिविधियों के लिए बैंक खाता अनिवार्य हो गया है। हालांकि, बैंक खातों से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण नियम है न्यूनतम बैलेंस रखने का नियम। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
न्यूनतम बैलेंस क्या होता है?
बैंक खाते में जो न्यूनतम राशि रखना आवश्यक है, उसे न्यूनतम बैलेंस कहा जाता है। यह राशि खाताधारक के खाते में हमेशा होनी चाहिए। अगर यह राशि खाते में नहीं रहती, तो बैंक द्वारा न्यूनतम बैलेंस चार्ज लगाया जाता है।
बैंकों में यह न्यूनतम बैलेंस अलग-अलग हो सकता है। कुछ बैंकों में यह 1,000 रुपये है तो कुछ बैंकों में यह राशि 5,000 रुपये तक हो सकती है। यह न्यूनतम बैलेंस बैंक के नियमों और खाते के प्रकार पर निर्भर करता है।
न्यूनतम बैलेंस न रखने पर क्या होता है?
अगर किसी खाते में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखा जाता, तो बैंक उस पर चार्ज लगा सकता है। यह चार्ज अकाउंट मेंटेनेंस चार्ज या न्यूनतम बैलेंस चार्ज कहलाता है।
चार्ज कैसे तय होता है?
- चार्ज की राशि बैंक पर निर्भर करती है और यह सभी बैंकों में अलग-अलग हो सकता है।
- चार्ज उस राशि के आधार पर लगाया जाता है, जो न्यूनतम बैलेंस और खाते में मौजूद राशि के बीच का अंतर हो।
कुछ बैंकों में, अगर न्यूनतम बैलेंस नहीं रखा जाता, तो बैंक ग्राहक के खाते को माइनस बैलेंस में डाल देते हैं। ऐसा करने पर ग्राहक को अधिक चार्ज देना पड़ सकता है।
आरबीआई के नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यूनतम बैलेंस और उससे जुड़े चार्ज पर कुछ नियम तय किए हैं। इन नियमों का पालन सभी बैंकों के लिए अनिवार्य है।
आरबीआई के दिशा-निर्देश
- माइनस बैलेंस पर रोक: आरबीआई ने बैंकों को यह निर्देश दिया है कि अगर किसी ग्राहक का न्यूनतम बैलेंस नहीं रहता, तो बैंक उसका खाता माइनस बैलेंस में नहीं डाल सकते।
- सिर्फ तय चार्ज वसूलें: बैंक केवल उतना ही चार्ज वसूल सकते हैं, जितना कि खाते में कम बैलेंस का अंतर हो।
- ग्राहकों को सूचित करना जरूरी: बैंक को न्यूनतम बैलेंस चार्ज और इससे जुड़े नियमों की जानकारी ग्राहकों को पहले ही देनी होगी।
अगर कोई बैंक इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो आरबीआई उस पर कार्रवाई कर सकता है।
यस बैंक पर जुर्माने का मामला
आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला यस बैंक के साथ हुआ।
यस बैंक ने कुछ ग्राहकों के खातों में न्यूनतम बैलेंस न रहने पर उनके खातों को माइनस बैलेंस में डाल दिया। इस वजह से ग्राहकों को अतिरिक्त चार्ज देना पड़ा। आरबीआई ने इस कार्रवाई को नियमों का उल्लंघन मानते हुए यस बैंक पर 91 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
बैंक खाता बंद करने पर चार्ज
अगर कोई ग्राहक अपना बैंक खाता बंद करना चाहता है, तो बैंक को उससे किसी भी प्रकार का चार्ज वसूलने की अनुमति नहीं है।
बेसिक खाता में बदलने का प्रावधान
- अगर किसी ग्राहक का खाता बंद करना जरूरी हो, तो बैंक उस खाते को बेसिक बैंक खाता में बदल सकता है।
- इसके लिए ग्राहक की सहमति अनिवार्य होती है।
- यदि ग्राहक सहमति नहीं देता, तो बैंक ऐसा नहीं कर सकता।
ग्राहकों के अधिकार
आरबीआई के नियमों के तहत ग्राहकों को उनके खाते से जुड़ी हर जानकारी मिलनी चाहिए। बैंक ग्राहकों से कोई भी चार्ज वसूलने से पहले उन्हें सूचित करने के लिए बाध्य हैं।
ग्राहकों को ध्यान रखने वाली बातें
- नियमों की जानकारी रखें: अपने बैंक द्वारा तय न्यूनतम बैलेंस और उससे जुड़े चार्ज के बारे में जानकारी रखें।
- अपना खाता अपडेट रखें: खातों में पर्याप्त बैलेंस सुनिश्चित करें ताकि चार्ज से बचा जा सके।
- समय पर सूचना प्राप्त करें: यदि बैंक चार्ज लगाता है, तो उसकी वजह जानें और जरूरत पड़ने पर शिकायत करें।
बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी है, लेकिन ग्राहकों के अधिकार और आरबीआई के नियम भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और बैंकों को आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।
न्यूनतम बैलेंस न रखने पर लगने वाले चार्ज से बचने के लिए, खाताधारकों को अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखना चाहिए। इसके साथ ही, किसी भी अनियमितता पर तुरंत अपने बैंक या आरबीआई से शिकायत करें। यह समझदारी न केवल चार्ज से बचने में मदद करेगी, बल्कि ग्राहकों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाएगी।