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RBI Update: RBI का मिनिमम बैलेंस नियम जारी! खाते में रखना होगा इतना पैसा

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों द्वारा लागू किए जाने वाले मिनिमम बैलेंस के लिए कोई निश्चित नियम नहीं बनाए हैं। यह पूरी तरह से बैंकों की नीति और उनके ग्राहकों के खातों के प्रकार पर निर्भर करता है। आइए समझते हैं कि मिनिमम बैलेंस क्या होता है, इसे बनाए रखने के नियम, और आपके पास क्या विकल्प हैं।

मिनिमम बैलेंस क्या है?

मिनिमम बैलेंस, जिसे मिनिमम बैलेंस मेंटेनेंस (MBM) भी कहा जाता है, वह न्यूनतम राशि है जो आपको अपने बैंक खाते में बनाए रखनी होती है। यदि आप इस निर्धारित राशि को खाते में नहीं रख पाते हैं, तो बैंक आपसे जुर्माने के रूप में शुल्क ले सकता है।

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सार्वभौमिक नियमों की अनुपस्थिति

RBI ने यह तय करने का अधिकार बैंकों को दिया है कि वे अपने ग्राहकों के लिए कितना मिनिमम बैलेंस आवश्यक मानते हैं। इसका मतलब है कि हर बैंक का मिनिमम बैलेंस अलग होता है। यह विभिन्न प्रकार के खातों, जैसे बचत खाता (Savings Account) या सैलरी खाता (Salary Account), के अनुसार भिन्न हो सकता है।

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उदाहरण के लिए:

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  • कुछ बैंकों में बचत खाते के लिए मिनिमम बैलेंस ₹500 हो सकता है।
  • वहीं, प्राइवेट बैंकों में यह ₹5,000 से ₹10,000 तक हो सकता है।
  • सैलरी खातों में आमतौर पर मिनिमम बैलेंस की जरूरत नहीं होती है।

मिनिमम बैलेंस न रखने पर शुल्क

यदि आप बैंक द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस को बनाए नहीं रख पाते, तो बैंक आपसे जुर्माने के रूप में शुल्क ले सकता है।

  • यह शुल्क बैंक और खाते के प्रकार पर निर्भर करता है।
  • खासकर प्राइवेट बैंकों में यह चार्ज ज्यादा हो सकता है।
  • शुल्क तब लगाया जाता है जब महीने के अंत में बैलेंस निर्धारित सीमा से कम हो।

RBI के निर्देश और पारदर्शिता

RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने ग्राहकों को शुल्क और मिनिमम बैलेंस की जानकारी पूरी पारदर्शिता के साथ दें।

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  • ग्राहकों को पहले से बताया जाना चाहिए कि उनके खाते के लिए मिनिमम बैलेंस क्या है और इसे बनाए न रखने पर कितना शुल्क लिया जाएगा।
  • ग्राहकों की सुविधा के लिए कुछ बैंकों ने मिनिमम बैलेंस चार्ज हटा दिए हैं, लेकिन ऐसे खातों में अन्य शुल्क (जैसे नकद निकासी शुल्क) लागू हो सकते हैं।

ग्राहकों के लिए विकल्प

बैंक अपने ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस के बिना खाता खोलने का विकल्प भी देते हैं। ऐसे खाते खास तौर पर उन ग्राहकों के लिए होते हैं, जो कम आय वर्ग से आते हैं या जिनकी बैंकिंग जरूरतें सीमित होती हैं।

  • उदाहरण: बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA)
  • हालांकि, ऐसे खातों में नकद निकासी, चेक बुक या अन्य सुविधाओं पर शुल्क लग सकता है।

मिनिमम बैलेंस शुल्क से बचने के टिप्स

  1. सैलरी खाता खोलें: यदि आपका खाता सैलरी खाता है, तो उसमें आमतौर पर मिनिमम बैलेंस की जरूरत नहीं होती।
  2. कम शुल्क वाले बैंक चुनें: पब्लिक सेक्टर बैंकों में आमतौर पर मिनिमम बैलेंस की सीमा कम होती है।
  3. अलर्ट सेट करें: अपने खाते में बैलेंस कम होने पर अलर्ट प्राप्त करने के लिए मोबाइल बैंकिंग ऐप्स का उपयोग करें।
  4. सही खाता प्रकार चुनें: यदि आप नियमित रूप से मिनिमम बैलेंस नहीं रख सकते, तो बिना मिनिमम बैलेंस वाले खाते का विकल्प चुनें।

मिनिमम बैलेंस का नियम ग्राहकों और बैंकों के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह पूरी तरह से बैंक की नीति पर निर्भर करता है। ग्राहकों को अपने खाते के नियम और शर्तों को समझकर काम करना चाहिए, ताकि अनावश्यक शुल्क से बचा जा सके।

RBI ने बैंकों को पारदर्शिता बनाए रखने और ग्राहकों को पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया है। इसलिए, किसी भी बैंक खाता खोलने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप उस खाते के मिनिमम बैलेंस की जरूरत को पूरा कर सकते हैं या नहीं। इसके अलावा, बिना मिनिमम बैलेंस वाले खातों के विकल्पों पर भी विचार करें।

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